सुराजी गांव योजना (नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी) के तहत जिले के किसान फसल कटाई के बाद खेतों में छोड़े गए पैरा का दान गौठानों में कर रहे हैं जिससे सूखा चारा का संग्रहण हो रहा है। जिले के 157 गौठानों में अब तक 1041.52 टन पैरा का संग्रहण किया जा चुका है तथा किसान लगातार पैरादान करने आगे आ रहे हैं। जिले के गौठानों में किसान इन दिनों पैरादान में जुट गए हैं। ग्रीष्म ऋतु में जब हरा चारा उपलब्ध नहीं रहता तब सूखा चारा ही पशुओं का मुख्य भोजन होता है। चारे की तलाश में मवेशियों को यत्र-तत्र भटकना न पड़े, इसलिए गौठानों में सूखा चारा की उपलब्धता सुनिश्चित करने जिला प्रशासन द्वारा किसानों को पैरादान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, साथ ही कृषि विभाग के मैदानी अमलों के द्वारा इसके लिए समझाइश दी जा रही है। उप संचालक कृषि ने बताया कि जिले में कुल 280 गौठान स्वीकृत हैं जिनमें चारा भण्डारण के लिए पैरादान करने पंचायत प्रतिनिधि, विभागीय अमलों, पंचायत सचिव, ग्रीन आर्मी, स्वसहायता समूहों की महिलाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। परिणामस्वरूप जिले के 157 गौठानों में पैरादान पूर्ण हो चुका है तथा इसका भण्डारण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक विकासखण्ड नगरी में 495 टन, मगरलोड में 491 टन, धमतरी में 41.44 टन तथा कुरूद विकासखण्ड में 14.08 टन पैरादान के तहत प्राप्त हुआ है, जिसे खेत अथवा खलिहान से गौठानों में ट्रैक्टर के माध्यम से परिवहन कर लाया गया है। कृषि विभाग द्वारा बेलर मशीन से दान में प्राप्त पैरा की बंडलिंग कर गौठानों में सुरक्षित एवं व्यवस्थित ढंग से रखाया जा रहा है। धमतरी विकासखण्ड के गौठान में ग्राम बोडऱा (संबलपुर) के किसान श्री तीरथराम यादव ने चार टन पैरादान किया। इसी तरह ग्राम बलियारा (बोडऱा) के किसान श्री चेतनलाल ने 5 टन, जय अम्बे मां स्वसहायता समूह खरतुली के द्वारा पांच टन, नवज्योति महिला समूह परसतराई के द्वारा चार टन पैरादान किया गया। इसी तरह नगरी विकासखण्ड के जय भुखर्रादेव गौठान टांगापानी में गांव के कृषक श्री गणेशराम, श्रीराम, मन्नूराम, घसियाराम के द्वारा 22 टन पैरा दानस्वरूप दिया गया है। इसके अलावा ग्राम सरईटोला, के किसान हीराराम, अमृतलाल, मानकलाल, घासीराम, कोमल सिंह के द्वारा 40 टन पैरादान किया गया।
इन किसानों ने बताया कि हारवेस्टर से फसल कटाई किए जाने से पैरा खेतों में ही रह जाता है, जिसे मवेशी खाते नहीं हैं। इन पैरों को कुट्टी से काटकर बेहतर चारा के रूप में तब्दील किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पैरादान से उनके ही गाय-बैलों को भरपूर चारा गर्मी के मौसम में मिलेगा व इससे और भी फायदे हैं। खेतों में फसल अवशेष जलाए जाने की दुष्प्रवृत्ति पर भी काफी हद तक रोक लगेगी।