हम पालक की बात करें तो यह एक ऐसी सब्जी है, जिसे हर मौसम में उगाया जा सकता है और पौष्टिकता के साथ बेहतर आमदनी का भी पालक स्रोत है। वैसे पालक के बारे में सभी जानते हैं कि यह आयरन से भरपूर होती है। इसलिए हर कोई इसे खाना पसंद करते हैं और विशेषज्ञ भी इसके जूस या सब्जी की सलाह देते हैं। और एक बात और इसमें विटामिन ‘एÓ, प्रोटीन, एस्कोब्रिक अम्ल, थाइमिन, रिबोफ्लेविन तथा निएसिन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

किस्में
पालक की वैसे तो कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन आल ग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति उन्नत किस्में हैं। वहीं जोबनेर ग्रीन, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन 23, पालक 51-16, लाग स्टैंडिंग, पन्त का कम्पोजीटी 1 पालक की अन्य किस्में हैं। इसमें आल ग्रीन पालक के पत्ते गहरे हरे होते हैं और यह 15 से 20 दिन में ही पैदावार देने लगते हैं।

पालक की देशी किस्में गर्म और ठंड दोनों ही मौसम में अच्छी पैदावार देती हैं। पालक पाले को सहन कर सकता है। इसलिए इसे पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में उगाया जा सकता है। दोमट मिट्टी पालक की खेती के लिए अति उत्तम हैं। लेकिन इसमें जैविक खाद की मात्रा होनी चाहिए। और अच्छी उपज के लिए मिट्टी की पीएचमान 6.0 से 7.0 होना चाहिए।  पालक वैसे तो हर मौसम में उगाया जा सकता है। लेकिन अच्छी पैदावार और उपज के लिए मैदानी इलाकों में जून से लेकर नवंबर तक और विलायती किस्म के पालक के लिए अक्टूबर-दिसंबर का मौसम उपयुक्त होता है।

पालक में मौसम के अनुसार सिंचाई करना बहुत जरूरी है। खासकर बीजों के अंकुरण के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है। यानी मिट्टी में नमी पर्याप्त होना चाहिए। बरसात के मौसम में कम तो शरद मौसम में नियमित सिंचाई करते रहने चाहिए।