पर्यावरण के लिए समर्पित रहकर कार्य करने वाले हितवा संगवारी के संयोजक रोमशंकर यादव ने अपनी जन्मदिन की 50वीं जन्मदिन की 50वीं वर्षगांठ पर 50 पौधरोपण करने की अनूठी पहल की है। दुर्ग जिला कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे, एसपी प्रशांत ठाकुर के आतिथ्य मे इस पौधरोपण की शुरुआत किये। श्री यादव का जन्मदिन 6 नवंबर को है जिस दिन वे 50 पौधरोपण का लक्ष्य पूरा करेंगे। इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में विशिष्ट योगदान देने वालों को पर्यावरण हितवा संगवारी सम्मान से सम्मानित किया गया। यहां बताना लाजमी है की रोमशंकर यादव पिछले 14-15 सालों से अपने जन्मदिन पर 15 सालों से पौधरोपण करते आ रहे हैं। साथ ही अपने परिवार के सदस्यों के जन्मदिन पर भी वे पिछले कई वर्षों से पौधरोपण कर रहे हैं। यही नहीं शादी के सालगिरह, पितृपक्ष में पितरों की स्मृति में भी पौध रोपण किए जाते हैं। उनके द्वारा शादी,जन्मदिन, नामकरण संस्कार व गृह गृह प्रवेश आदि मांगलिक अवसरों पर पौधे उपहार में भेंट किया जाता है। कार्यक्रम का शुभारंभ कलेक्टर एवं एसपी द्वारा बरगद के पौधे की पूजा अर्चना कर की गई साथ ही रक्षा सूत्र बांधे। इसके पश्चात 50 पौधरोपण अभियान का पौधे रोपित कर शुभारंभ किये। साथ ही कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने हितवा संगवारी द्वारा किये जा रहे प्रयास की सराहना की। संस्था द्वारा कलेक्टर को हितवा संगवारी अभ्यारण को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, शमशान घाट एवं गार्डन में रिवाल्विंग गेट लगाने और रखरखाव के लिये कर्मचारी की मांग रखी। इस दौरान डॉ. मोनिका चावले, पर्यावरण प्रेमी श्री गेंदलाल देशमुख, पत्रकार श्री पुनीत कौशिक, लोकगायक श्री खुमान सिंह यादव, समाज सेवी श्री सुभाष साव ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वालों को पर्यावरण हितवा संगवारी सम्मान से सम्मानित किया। गौरतलब हो कि पर्यावरण हितवा संगवारी द्वारा 23 साल से पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रयास की जा रही है। 6 लाख से अधिक पौधों जिसे बीएसपी द्वारा रोपा गया है उसका संरक्षण कर चुके है। साथ ही उनके प्रयास से 2 लाख नये पेड़ तैयार हुए हैं इस तरह हितवा संगवारी अपने हितवा संगवारी अभ्यारण में लगभग साढ़े आठ लाख पेड़ो को बचाकर रखें इसमें उन्होंने लगभग 50 हजार सागौन के पेड़ो को पुनर्जीवित किया। रोमशंकर मंडला डिंडोरी के जंगल मे जल जंगल जमीन को लेकर आयोजित संवाद यात्रा भी वर्ष में किये थे वहीं वर्ष 2004-05 में खारुन नदी के उद्गम पटेचुआ से खारुन संगम स्थल सोमनाथ तक लगभग ढाई सौ किलोमीटर पदयात्रा किये थे इसी वर्ष 2004-05 के लिए नेहरू युवा केन्द्र द्वारा जिला युवा पुरस्कार से सम्मानित किये गए।