विकासखण्ड दरभा के ग्राम चितापुर के युवा कृषक श्री संतु ने कृषि विभाग के शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर जैविक खेती करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। कृषक संतु ने अपने पिता श्री चेंदरू के समान कृषि को ही अपना मुख्य व्यवसाय बनाया है। पैतृक जमीन पर संतु ने परंपरागत खेती करते हुए सालभर में केवल एक ही मौसम (वर्षा आधारित खेती) में फसल ले पाते थे। कृषक द्वारा सिचंाई क्षेत्र में विस्तार कर वर्ष भर फसल प्राप्त कर आमदनी बढ़ाने हेतु प्रयास किये जा रहे थे। कृषक की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं विभागीय मैदानी कृषि अधिकारियों के सहयोग से कृषक ने वर्ष 2019-20 में सौर सुजला योजनान्तर्गत सोलर पंप एवं स्प्रिंकलर सेट विभागीय अनुदान पर प्राप्त किया। सिंचाई की व्यवस्था होने के कारण कृषक अब वर्षभर में दो से तीन फसल प्राप्त करने लगे जिसके फलस्वरूप आमदनी में वृद्वि होने के साथ साथ जीवन स्तर में भी आवश्यक एवं लाभकारी बदलाव आये। क्षेत्रिय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के मार्गदर्शन में कृषक ने धान की उन्नत ”सिस्टम ऑफ राईस इन्टेनसिफिकेशन” (एसआरआई) तकनीक से खेती प्रारंभ की। जिसमें प्रति एकड़ मात्र 4 से 5 किलोग्राम धान के बीज का उपयोग कर 14 से 16 दिन की पौध को पैडी मार्कर की सहायता से धान की रोपाई एक निश्चित दूरी ;25ग25 से.मीद्ध में की जाती हैं। जिससे की पौधो की पर्याप्त बढ़वार होने के कारण उत्पादन अधिक प्राप्त होता हैं साथ ही खेती की लागत में कमी आती है।
सिंचाई सुविधाओं में विस्तार होने के पश्चात कृषक द्वारा धान के साथ लघुधान्य, दलहन, तिलहन एंव सब्जियों की खेती प्रारंभ की गई जिससे की खाद्य सुरक्षा के साथ ही साथ कृषि जोखिम कम होता गया। फलस्वरूप कृषक ने पूर्व की तुलना में लगभग 54 हजार रूपए का अतिरिक्त लाभ प्राप्त किया। साथ ही कृषक द्वारा पौध संरक्षण यंत्र एवं अन्य आवश्यक उपकरण अनुदान में प्राप्त किये।
जैविक विकासखण्ड दरभा के कृषक श्री संतु द्वारा पूर्णत: जैविक विधि से खेती की जा रही है। कृषक द्वारा गुणवत्ता युक्त वर्मीकम्पोस्ट एवं नाडेप कम्पोस्ट, (जैविक खाद) स्वयं उत्पादन कर रहे है। जिससे की आवश्यक उर्वरक-खाद हेतु बाजार पर निर्भरता नही रही है। इसके साथ ही साथ आत्मा योजनान्तर्गत जैविक कीटनाशी निर्माण प्रशिक्षण प्राप्त कर कृषक स्वयं कीटनाशक का निर्माण कर फसल में उपयोग कर रहें है। जिससे की उच्च श्रेणी के उत्पाद प्राप्त हो रहे है। कृषक द्वारा वर्तमान में परम्परागत कृषि विकास योजना, आत्मा योजनान्तर्गत सुंगधित धान, तरूणभोग, बादशाहभोग, लघुधान्य कोदो, अरहर, साग-सब्जी आदि की खेती की जा रही है। कृषक श्री संतु की लगन, दृढ़ निश्चय से यह सिद्व होता है कि, कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीको के समावेश से निश्चित रूप से गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त हो सकते है। साथ ही कृषको की आर्थिक आत्मनिर्भरता की परिकल्पना भी साकार हो सकती है। कृषक श्री संतु के द्वारा प्राप्त की गई सफलता से प्रोत्साहित होकर आस-पास के कृषक भी कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक को अपना रहे है।
परंपरागत खेती छोड़ आधुनिक खेती से मुनाफा कमा रहे किसान
जशपुर जिले के दुलदुला विकासखंड के ग्राम बागबुड़ी के लोकनाथ राम ने शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर परम्परागत कृषि को छोड़कर आधुनिक कृषि को अपनाया है। लोकनाथ पहले परम्परागत खेती करते आ रहे थे। जिससे वे फसलों की सिंचाई के लिए बरसात पर निर्भर रहते थे। उन्होंने परम्परागत खेती नहीं कर के आधुनिक खेती करने की सोची। उनके द्वारा कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर समय-समय पर दिए गए तकनीकी परामर्श लेकर वैज्ञानिक तरीके से खेती-किसानी कर रहे हैं। जिससे उनका लागत कम एवं मुनाफा अधिक हो रहा है। उन्होने कृषि उद्यानिकी, क्रेडा सहित अन्य विभागों में संचालित योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपने लगभग 4 एकड़ की जमीन पर मिश्रीत खेती करना प्रारंभ किया। जिसमें गन्ना, मूंगफली, उड़द जैसी फसलों के साथ ही मौसमी सब्जियों टमाटर, प्याज, लहसुन, की खेती कर रहे है। वर्तमान में रबी मौसम में उनके द्वारा मटर, गोभी एवं अन्य फसल ली जा रही है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की खेती से उन्हे लगभग 1 लाख तक की आमदनी प्राप्त हो जाएगी।
लोकनाथ को कृषि के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबी बनाने के लिए जिला प्रशासन भी भरपूर सहयोग कर रहा है। कृषि विभाग द्वारा उन्हें विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्नत किस्म की सब्जी बीज, स्प्रिंकलर सेट सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाया गया है। साथ ही उन्हें मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक खाद के प्रयोग की सलाह दी। क्रेडा विभाग से अनुदान के माध्यम से उनके खेत में सोलर पैनल लगवाया गया। जिससे उन्हें फसलों की सिंचाई करने की परेशानी नहीं रही। कृषि विभाग द्वारा उन्हें गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसलिए उन्होंने इस बार अपने खेत में गन्ने की खेती की हैै। अब लोकनाथ अपने खेत में मनरेगा के माध्यम से डबरी निर्माण करवाकर उसमें मछली पालन भी करना चाहते है। आधुनिक और उन्नत तकनीक से खेती करने के कारण लोकनाथ की उत्पादन भी अच्छी हो रही है और आमदनी भी। जिससे लोकनाथ और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और वे क्षेत्र के अन्य किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।