कोरिया जिले का मौसम हल्दी जैसी मूल्यवान फसलों के लिए अच्छा है, इसके व्यवसायिक उत्पादन से आने वाले समय में गौठान समितियों के लिए आर्थिक उन्नति के नए अवसर बनेंगे। उक्ताषय के विचार जिला पंचायत की मुख्यकार्यपालन अधिकारी तूलिका प्रजापति ने पोड़ी ग्राम पंचायत में गौठान के समीप हल्दी की फसल का अवलोकन करने के बाद व्यक्त किए। सोमवार की अलसुबह जिला पंचायत सीइओ तूलिका प्रजापति ने सोनहत जनपद पंचायत अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों का भ्रमण कर गौठानों का निरीक्षण किया। यहां उन्होने कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के साथ हल्दी की फसल का बारीक मुआयना किया और स्थानीय कृषकों से बातचीत की। विदित हो कि सुराजी गांव योजना के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि आधारित कार्यों को गौठान ग्रामों में विषेष महत्व के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी अनुक्रम में कोरिया जिले के विभिन्न गौठानों का संचालन करने वाली समितियों की आय बढ़ाने के लिए नगद फसल हल्दी की वृहद स्तर पर बोआई की गई है। इसके साथ ही गौठान ग्रामों में कृषक समूहों को भी इस महती परियोजना से जोड़ा गया है। इसलिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के देखरेख में लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में इस बार हल्दी की फसल लगाने की पहल की गई है। फलोद्यानों क बीच भी हल्दी की फसल लगाई गई है और टपक सिंचाई योजना के तहत इसे बढ़ाया गया है। फसल का अवलोकन करने के लिए सोनहत जनपद के ग्राम पंचायतों में जाकर सीइओ ने स्थानीय जनों से इस फसल के उत्पादन के बारे मे बातचीत की।
ग्राम पंचायत पोड़ी और कुषहा मे सीइओ जिला पंचायत के भ्रमण के दौरान हल्दी फसल की देखरेख कर रहे किसानों ने बताया कि इस बार फसलों की स्थिति काफी अच्छी है। गौठान समितियों के साथ इसे लगाने वाले आदिवासी कृषकों का अच्छा आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। ग्रामीणों से चर्चा करने के बाद जिला पंचायत सीइओ ने बताया कि गौठान ग्राम क्रमश: सोरगा, जामपानी, कोडिमार छरछा, रोझी, कुशाह व अमहर में गौठान समितियों दवारा चयनित शासकीय भूमि के साथ साथ ग्राम उमझर, दुधनिया, बरबसपुर इत्यादि में कृषकों की सामूहिक बाडिय़ों में भी हल्दी की फसल लगाई गई है।
जिला पंचायत सीइओ के साथ भ्रमण मे उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजपूत के अनुसार 50 एकड़ क्षेत्रफल में अच्छी फसल होने से लगभग 360 से 400 टन तक हल्दी बीज और प्रकंद प्राप्त होने का अनुमान है। इससे प्राप्त उपज का दो तिहाई हिस्सा बीज के रूप में विक्रय कर 60 से 70 लाख रूपए की आमदनी हो सकेगी। साथ ही अगले वर्ष 140 से 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे ंअन्य गौठान समितियों में भी इसे रोपित कर व्यापक स्तर पर हल्दी उत्पादन किया जा सकेगा। इसके अलावा पत्तियों से भी तेल निकाल कर अतिरिक्त लाभ की ओर समितियां बढ़ रही हैं। बाजार में हल्दी के तेल की कीमत 500 से 600 रूपये प्रतिकलोग्राम होती है। एक हेक्टेयर से 130 से 150 किलो पत्तियां प्राप्त होंगी और जब इसकी पत्तियां पीली पड़ जाती है, तभी इसका तेल निकाला जाएगा।