मदनपुर निवासी एक किसान ने सेब का बगीचा लगाने का मन बनाया और नौकरी छोड़कर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह के आधार पर बगीचा तैयार किया है। किसान के खेत में सेब का बगीचा लहलहा रहा है और उससे आमदनी भी शुरू हो गई है। सेब के अलावा उनके बगीचे और कई ऐसे पेड़ हैं, जो दूसरे स्टेट में होते हैं।
मदनपुर गांव में रहने वाले किसान रमाशंकर कुशवाहा बिजली विभाग में ठेकेदार के साथ मीटर लगाने की नौकरी करते थे। उनके मन में खेती करने का विचार आया और उन्होंने नौकरी छोड़कर परंपरागत तरीके से धान-गेहूं आदि की खेती शुरू कर दी। दिसंबर 2019 में रमाशंकर ने कुछ नया करके खेती से लाभ कमाने का मन बनाया और जम्मू से सेब के पौधे मंगवाकर अपनी खाली पड़ी जमीन पर बगीचा तैयार करने का काम प्रारंभ किया। इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह ली और उनकी समय-समय पर मिली सलाह के आधार पर बगीचा तैयार किया।
सेब के पौधे रोपने के तीन माह बाद ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। उसके बाद से रमाशंकर ने पूरा समय बगीचे को तैयार करने व उसकी देखरेख में लगा दिया। किसान रमाशंकर ने लॉकडाउन के डेढ़ साल के दौरान सेब के पौधों को तैयार करने में कड़ी मेहनत की। समय-समय पर उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से सलाह ली। अब किसान की बगिया में फलों की बहार है और ताजे फलों का स्वाद लेने शहर से भी नागरिक उनके खेत तक पहुंच रहे हैं।
सेब के साथ किसान रमाशंकर ने बगीचे में चीकू, नाशपाती, अनानास, अमरूद, सीताफल, नीबू आदि के पौधे लगाए हैं। जिसमें चीकू, अमरूद, सीताफल में फल आने लगे हैं। स्थानीय वातावरण के प्रभाव के कारण उनके फलों का रंग थोड़ी अलग है लेकिन फलों की मिठास में कोई अंतर नहीं है। किसान रमाशंकर कुशवाहा का कहना है कि कश्मीर, उत्तराखंड और पंजाब तक में सेब की खेती हो रही है तो उन्होंने सोचा की जिले में भी ये हो सकता है, जिसके बाद उन्होंने सेब के पौधे लगाए और 16-17 माह में ही वे फल देने लगे। किसान का अनुमान है अगले साल सेब से उन्हें और अधिक मुनाफा मिलेगा।