राज्य सरकार की सुराजी ग्राम योजना ग्राम विकास का सपना साकार कर रही है। गौठान योजना से गावों में फसलों की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी होने लगा है। कोरिया जिले की ग्राम गौठान समितियों को चारागाह से फायदा मिलने लगा है। यहां के ग्राम गौठान समितियों ने नेपियर ग्रास नामक हरे चारे की गठानें बेचकर दो लाख रूपए से ज्यादा का लाभ प्राप्त किया है।
कोरिया जिले में प्रथम चरण में बनाए गए गौठानों मे से 10 आदर्श गौठानों के आस-पास कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से चारागाह का विकास किया गया है। गौठानों के आसपास रिक्त पांच-पांच एकड़ भूमि में नेपियर ग्रास का उत्पादन किया जा रहा है। इनमें से आठ चारागाहों में पर्याप्त मात्रा में उत्पादन हो रहा है। उपयोग पश्चात शेष बचे नेपियर ग्रास को राज्य के विभिन्न जिलों को भेजकर गौठान समितियों ने आय अर्जित करना शुरू कर दिया है। पशुओं के हरे चारे के अलावा नेपियर ग्रास की गांठे बीज के रूप में भी अन्य जिलों में मांग के आधार पर भेजी जा रही हैं। चारागाहों का संचालन स्थानीय ग्राम गौठान समितियों द्वारा किया जा रहा है।
सुराजी ग्राम योजनांतर्गत गौठान के पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था के लिए लगाए गए नेपियर ग्रास से पशुओं को संतुलित आहार मिलने लगा है। साथ ही इसका व्यवसायिक लाभ जिले की ग्राम गौठान समितियों को मिल रहा है। सोनहत जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम कुशहा के गौठान समिति की अध्यक्ष जयकुमारी को 50 हजार 334 रूपए की धनराशि का चेक पहली कमाई के रूप में प्राप्त हुई है। इसी प्रकार सलगंवा ग्राम गौठान समिति के अध्यक्ष सुंदर काशी सिंह को 57 हजार 834 रूपए और घुघरा की समिति के अध्यक्ष लालमन राजवाड़े को 10 हजार पांच सौ रूपए के और बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत की सोरगा ग्राम गौठान समिति के अध्यक्ष बिहारी को उनकी पहली कमाई के रूप में 36 हजार रूपए प्राप्त किए हैं।
चारागाह के व्यवस्थित प्रबंधन को देख रहे कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया की सबसे पहले कोयंबटूर से नेपियर ग्रास की किस्म सीओबीएन-एस के बीज मंगाकर चारागाहों में लगाए गए थे। अब इनकी अच्छी फसल होने से इसे ग्राम गौठान समितियों के माध्यम से सूरजपूर, महासमुंद और रायपुर जिलों को बेच चुके हैं। एक लाख से ज्यादा के नेपियर स्लिप की मांग रायपुर जिले से की गई हैं । वहीं 3 लाख से ज्यादा के नेपियर स्लिप की मांग अन्य जिलों से भी की जा चुकी है। राज्य में 19 जून से रोका छोका की प्रबंधन (खुले में पशु चराई रोकने हेतु) का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान आयोजित विशेष ग्राम सभा में ग्रामीणों को घरों एवं खेतों में चारा लगाने एक रूपए प्रति गांठ के दर से नेपियर स्लिप विक्रय करने के संबंध में चर्चा की गई ।