संयुक्त संचालक कृषि भोपाल बी.एल. बिलैया ने धान उत्पादक किसानों को कीट नियंत्रण की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि मौसम को देखते हुए धान की फसल में तना भेदक और पत्ति मोड़क के प्रकोप की आशंका है, अत: किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि खेत की सतत निगरानी करें तथा प्रकोप होने की स्थिति मे लेम्डासायहेलोथ्रीम 9.5 प्रतिशत थ्रमोमिथाकसाम 12.6 प्रतिशत 200 मिली लीटर प्रति हेक्टर छिड़काव करें।
धान की फसल पुष्पन अवस्था में है यदि 50 प्रतिशत पुष्पन हो चुका है तो किसानों को सलाह दी जाती है कि नाइट्रोजन की तीसरी खुराक का छिड़काव करें। पोटाश की अनुशंसित मात्रा का 25 प्रतिशत छिड़काव पुष्पन अवस्था में करने पर अनाज की मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों बढ़ जाती है। धान में आभासी कंडवा (हल्दी गांठ) रोग कि रोकथाम हेतु प्रोपीकोनोजोल 25 प्रतिशत ईसी 1 मिली दवा प्रति लीटर पानी कि दर से 400-500 लीटर पानी के साथ प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें। सोयाबीन फसल में कटाई-गहाई का कार्य किया जा रहा है। सोयाबीन कटाई-गहाई उपरांत हवादार स्थान पर सुरक्षित भंडारण करें। जिससे कि बीज की गुणवत्ता बनी रहे।
आपको बता दें कि 15 दिन पहले ही भारत सरकार के केन्द्रीय दल ने विदिशा, रायसेन तथा सीहोर जिलों के कई ग्रामों में पहुँचकर कीट व्याधि से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया था। केन्द्रीय दल में शामिल मत्स्य पालन पशुपालन विभाग की आयुक्त सुलेखा एसएल तथा रिसर्च एसोसिएट डॉ. श्वेतल वानखेड़े ने रायसेन तहसील के मेढ़की, आमखेड़ा तथा खण्डेरा में फसलों को अति वर्षा तथा कीट व्याधि से हुए नुकसान का जायजा लिया। ग्रामीणों और अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान केन्द्रीय दल को फसलों को हुए नुकसान के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया।
केन्द्रीय दल ने सीहोर जिले के लसूडिय़ा परिहार और विदिशा जिले के सनबन तथा भैरोंखेड़ी का कीट व्याधि से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया। केन्द्रीय दल ने किसानों से भी चर्चा कर फसलों को हुए नुकसान की जानकारी ली।