दमोह जिले मे कालीधान (जंगली धान,सादा) के उन्मूलन हेतु 30जून 2021 तक कृषि विभाग द्वारा धान उत्पादित विकास खण्ड यथा दमोह, जबेरा,तेन्दूखेड़ा, पटेरा के प्रत्येक ग्राम पंचायतों एवं विकासखण्ड स्तर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
इसी के तहत आज विकासखण्ड जबेरा में विकासखण्ड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में अनुविभागीय कृषि अधिकारी ने कृषकों को कालीधान रहित उन्न्त किस्म के बीज, लेही पद्धति, रोपा पद्धति से धान की बोनी करने की सलाह दी गई।
सहायक संचालक कृषि द्वारा कृषकों को सलाह दी गई कि बारिस होने के 15 दिन बाद खेत में सभी खरपतवार उग जावे उसके पश्चात् खेत की जुताई कर या नॉन सिलेक्टिव हर्वी साइड जैसे ग्लाइफोसेट 1 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़़काव कर खरपतवारों को नष्ट करने के उपरांत ही धान की बोनी की जावे। धान की रोपाई की श्री (एसआरआई) पद्धति से रोपाई करने की सलाह दी। उन्होंने बताया किए धान की नर्सरी केंचुआ खाद गोबर की खाद में तैयार करना चाहिए तथा 8.12 दिन की पौध हो जाने पर रोपाई 25 गुणा 25 सेंटीमीटर के अंतर से करने पर धान के उत्पादन में 5.10 गुना तक की वृद्धि हो जाती तथा कृषकों की काली धान की समस्या भी नहीं रहती। श्री पद्धति से सिर्फ दो किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है तथा इस विधि में खेत में पानी भरने की भी आवश्यकता नहीं होती है। जिससे उत्पादन लागत में कमी तथा पानी की भी बचत होती है। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों को काली धान के उन्नमूलन हेतु ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई, उन्न्त किस्म के बीज की बुबाई, लेही एवं रोपा पद्धति से धान की बोनी करने की सलाह दी। कार्यशाला में संबंधित क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायतों में जाकर कृषकों को काली धान के उन्नमूलन की सलाह दी जा रही है।