बारिश के बाद तेज धूप वाले मौसम में कम अवधि में पकने वाली धान के किस्मों में पोंचा दाना एवं बदरंग बालियों की समस्या अनेक स्थानों पर देखने में आ रही है। प्रभारी उपसंचालक कृषि टीकम सिंग ठाकुर एवं कृषि विशेषज्ञों ने खेतों में निरीक्षण कर धान के फसल की इस समस्या के कारण का पता किया। पेनीकल माइट की वजह से धान की बहुत सी किस्मे जैसे राजेश्वरी, महामाया आदि में पोंचा दाना व बदरंग बालियों की समस्या उत्पन्न हो रही है। पेनीकल माइट एक सूक्ष्म जीव है जो की सामान्य रूप से आंखों से दिखाई नहीं देते है इन्हे जूम लेंस की मदद से ही देखा जा सकता है। यह जीव सूक्ष्म होते है तथा पौध शीथ के नीचे काफी संख्या में रहते है एवं पौधों की बालियों से रस चूसते है, जिससे इनमें दाना नहीं भरता है। इससे प्रभावित हिस्से में भूरा धब्बा जैसा लक्षण दिखाई देता है। श्री ठाकुर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने किसानों के खेतों का निरीक्षण किया। श्री ठाकुर ने निरीक्षण के दौरान इस समस्या को गंभीरता से लिया तथा इस समस्या की प्रमुख वजह मौसम परिवर्तन है। किसानों को सुझाव देते हुए कीट प्रकोप के शुरूआती अवस्था में ही प्रोपरर्जाइंट 57 प्रतिशत की 25 मिली प्रति स्पेयर की दर से एवं इथियोन 50 प्रतिशत तथा साइपरमिथरिन 30 मिली प्रति स्पेयर की दर से या प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत की 30 मिली प्रति स्पेयर की दर से छिड़काव करें। यह मौसम इस कीट की संख्या बहुत तेजी से बढऩे के लिए अनुकुल है। इस दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को परामर्श भी दिया। किसानों को सलह दी जाती है कि अपने खेत के फसलों में लगने वाले कीट एवं बिमारियों का सतत निरीक्षण करते रहे। सोयाबीन एवं धान के फसलों में आवश्यकता से अधिक जल हो तो निकासी का उचित प्रबंधन करें, अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारीयों से संपर्क कर उचित प्रबंधन की कार्रवाई करें।