तिल बहुउपयोगी फसल है। तिल के लड्डू के बारे में आप जानते ही हैं। इसके अलावा तिल का उपयोग तेल, व्यंजन और आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है। बहुउपयोगी होने के साथ-साथ बाजार में इसका अच्छा दाम भी मिलता है। इसलिए किसान भाई आजकल इसकी खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं, तो आइए जानते हैं आज तिल की खेती के बारे में…

मिट्टी
तेल की खेती के लिए हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। इसका पी.एच. मान 5.5 से 7.5 होना चाहिए।

बोनी का समय
तिल खरीफ की फसल है। इसलिए इसकी बोनी जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के मध्य तक करनी चाहिये। लेकिन गर्मी वाली तिल के लिए जनवरी से लेकर फरवरी माह उपयुक्त होता है।

बीज उपचार
बोने से पहले बीज का उपचार अवश्य करें। बीज को 2 ग्राम थायरम+1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम, 2:1 में मिलाकर 3 ग्राम/कि.ग्रा. फफूंदनाशी के मिश्रण से बीजोपचार करें।

बोआई की विधि
तिल की बोआई यदि आप कतार में करना चाहते हैं तो कतार की दूरी 30 से.मी. तथा कतारों में पौधो से पौधों की दूरी 10 से.मी. रखते हुये 3 से.मी. की गहराई पर करें।

उर्वरक
स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बोनी करते समय आधार रूप में दें। तथा शेष नत्रजन की मात्रा खड़ी फसल में बोनी के 30-35 दिन बाद निंदाई करने उपरान्त खेत में पर्याप्त नमी होने पर दें।

सिंचाई
तिल की फसल में जल भराव नहीं होना चाहिए। इसलिए उचित जल निकासी का प्रबंधन अवश्य करें। खरीफ  मौसम में लम्बे समय तक सूखा पडऩे एवं अवर्षा की स्थिति में सिंचाई के साधन होने पर सुरक्षात्मक सिंचाई अवश्य करें।

खरपतवार से सुरक्षा
खरपतवार से सुरक्षा के लिए तिल के पौधों की निंदाई-गुड़ाई करते रहे। बोनी के 15-20 दिन बाद पहली निंदाई करें। दूसरी निंदाई आवश्यकता होने पर बोनी के 30-35 दिन बाद  करें।

रोगों से रोकथाम
तिल की फसलों में फाइटोफ्थोरा अंगमारी नियंत्रण के लिए थायरम (3 ग्राम) अथवा ट्राइकोडर्मा विरिडी (5 ग्रा./कि.ग्रा.) द्वारा बीजोपचार करें। भभूतिया रोग रोग के लक्षण प्रकट होने पर घुलनशील गंधक (2 ग्राम/ लीटर) का खडी फसल में 10 दिन के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करे। तना एवं जड़ सडऩ  नियंत्रण के लिए थायरम + कार्बेन्डाजिम (2:1 ग्राम) अथवा ट्राइकोडर्मा विरिडी (5 ग्रा./कि.ग्रा.) द्वारा बीजोपचार करें। जीवाणु अंगमारी बीमारी नजर आते ही स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (500 पी.पी.एम.) $ कॉपर आक्सी क्लोराईड (2.5 मि.ली./ली.) का पत्तियों पर 15 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करें।

लाभ
तिल की फसल बाजार में अच्छे दामों पर मिलती है। इसलिए इसकी खेती आज फायदेमंद मानी गई है।