मामूली खेती किसानी के कार्य से किसी तरह परिवार की आजीविका चलाने वाली मीना राठौर आज डेयरी उद्योग एवं वायर फेंसिंग कारोबार की जानी पहचानी महिला उद्यमी बन गई हैं। यह सब उन्होंने महिला स्वसहायता समूह से जुड़कर संभव कर पाया है।

ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर एक गृहिणी हैं और शादी के पहले वह दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाई थीं। शादी के बाद जब वह ससुराल आईं, तो परिवार के हालात ठीक नहीं थे। परिवार आजीविका चलाने के लिए थोड़ी बहुत खेती किसानी पर निर्भर था, जिससे घर का खर्च चलाना मुष्किल था। मीना से यह सब देखा नहीं गया और उन्होंने घर के हालात ठीक करने की ठानी। इसलिए वह पहले स्वसहायता समूह से जुड़ीं और इसके बाद ग्राम संगठन से जुड़ गईं। शुरु में उन्होंने समूह से 40 हजार रुपये कर्ज लेकर खेती किसानी के साथ सब्जी उत्पादन का कार्य शुरु किया। इसकी आमदनी ने उनका उत्साह बढ़ाया और उन्होंने ग्राम संगठन से 60 हजार रुपये उधार लेकर सिलाई एवं जनरल स्टोर का कार्य भी शुरु कर दिया। यह व्यवसाय भी चल पड़ा।

    अब उन्होंने ग्राम संगठन एवं सी.सी.एल से कर्ज बतौर एक लाख रुपये लेकर डेयरी उद्योग का काम शुरु कर दिया। फिर उन्होंने एक लाख रुपये की राषि की और व्यवस्था कर वायर फेंसिंग कारोबार शुरु कर दिया। हालांकि समय ना दे पाने की वजह से उन्हें जनरल स्टोर बंद करना पड़ा। मगर उनके अन्य व्यवसाय तेजी से चल पड़े। जिससे रोजाना उनकी आमदनी बढ़ती चली गई। आज वह अपने सभी व्यवसायों से हर महीना पच्चीस हजार रुपये कमा रही हैं। मीना ने बीच में छूटी पढ़ाई भी शुरु कर दी और आज वह बी.ए. द्वितीय वर्ष का अध्ययन कर रही हैं।

    मीना समूह में बुक कीपर का कार्य भी कर रही हैं। उनके परिवार में समृद्धि आते देख गांव की अन्य महिलाएं भी स्वसहायता समूह से जुडऩे में दिलचस्पी लेने लगी हैं।

    यह सब समूह से जुडऩे का कमाल है कि मीना को गांव में भरपूर मान सम्मान मिलने के साथ-साथ महिला उद्यमी के रूप में भी पहचान मिली है। आज घर का कच्चा मकान पक्के में परिवर्तित हो चुका है। उन्होंने मोटर साइकिल एवं कलर टीवी ले ली है। कृषि कार्य को बढ़ाने हेतु बोरवेल करा लिया है। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर खुषी जताते हुए मीना कहती हैं कि समूह से जुडऩे पर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई। गांव में मान सम्मान बढ़ा है। अब भविष्य की चिन्ता नहीं रही। म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिषन के जिला परियोजना समन्वयक श्री शषांक प्रताप सिंह ने बताया कि आज महिला स्वसहायता समूह महिला आत्मनिर्भरता का पर्याय बने हुए हैं। इनके जरिए गांव की महिलाएं लगातार स्वावलम्बी बन रही हैं।