हरीश चंद्र तिवारी ने बताया कि वे डॉक्टर सुभाष पालेकर की पद्धति जो जीरो बजट पर आधारित हैं , को अपना कर खेती करते है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ के लिए देशी खाद बनाने के लिए देशी गाय का 100 किलो गोबर, 10 लीटर गौ मूत्र, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेसन, 500 ग्राम बरगद के पेड़ की मिट्टी का उपयोग करते है, जो पांच दिनों में इक_ा करते हैं। उसके बाद पेड़ के नीचे जूट के बोरे से ढक कर रख देते हैं। खाद तैयार होने के बाद उसका उपयोग खेती किसानी में करते हैं। उन्होंने बताया की इस वर्ष खरीफ के सीजन में 30 एकड़ में धान की फसल जैविक विधि से की थी, जिसमे घर के उपयोग के लिए निकालने के बाद 653 किलो धान सोसायटी में बेची थी।
किसान हरीश चंद्र तिवारी ने बताया कि वे 2013 से जैविक विधि का उपयोग खेती में कर रहे हैं। उनके तीन बेटे हैं। एक बेटा उमेश तिवारी जो विदेश में मैकेनिकल इंजीनियर थे, उनकी नॉकरी छुड़वाकर खेती किसानी में लगाया, और वे उमेश को महीने में 60 हजार रुपये वेतन के रूप में देते है। दूसरा बेटा विवेक तिवारी वकील है। तीसरा बेटा महेंद्र तिवारी भोपाल में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। खेती में लाभ अर्जित करने के बाद किसान हरीश चंद्र तिवारी के पास दो ट्रैक्टर, तीन थ्रेशर, तीन कल्टीवेटर, चार कैच मेन्ट, तीन ट्रैक्टर रिवर, रोपा लगाने वाली मशीन हैं। इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा संचालित हितग्राही मूलक योजनाओ का लाभ लिया जा रहा है।