वैसे तो आजकल प्राय: सभी सब्जियां हर मौसम में मिल जाती है। पर लोगों का मानना है कि जो सब्जियां सीजन में आती हैं, उनकी स्वाद और बात ही कुछ और होता है। लेकिन फिर भी बारहो महीने आने वाली सब्जियों की मांग भी बाजार में बराबर बनी रहती है। सब्जियों की बात आए और बैंगन याद ना आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है। ये बाजार में और हर शहर और गांवों में बड़ी आसानी से मिल जाता है। और बनाने में आसान बैंगन सभी का पसंदीदा है। आपको बता दें कि बैंगन की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है, लेकिन इसके लिए किसानों को अपने क्षेत्र के हिसाब से बैंगन की किस्म का चयन करना आवश्यक है। बैंगन की दो प्रकार की किस्में पायी जाती है। एक सामान्य उन्नतशील किस्में, दूसरी संकर किस्में। इसमें भी दो वर्ग शामिल है। एक वर्ग में लंबे फल वाली बैंगन है, तो दूसरे वर्ग में गोल किस्म के बैंगन शामिल हैं। तो आइए, आज हम बात करते हैं बैंगन की उत्तम किस्मों के बारे में…
किस्में और खेती का समय
जानकारों का मानना है कि बैंगन की खेती का सही समय सितम्बर-अक्टूबर का है। इस महीने में पौध की रोपाई की जाती है। इसके करीब दो महीने बाद यानी दिसम्बर-जनवरी में बैंगन की फसल तैयार हो जाती है। इसकी फसल बहुत कम समय में ही तैयार हो जाती है। इसलिए भी इसकी खेती को लाभदायक माना गया है। वहीं बैंगन की मुख्य किस्मों की बात करें तो ये हैं-
लम्बे फल- पूसा हाईब्रिड- 5, पूसा परपल लाँग, पूसा परपल क्लस्टर, पन्त सम्राट, पंजाब सदाबहार, पंजाब बरसाती, और पूसा क्रांति आदि। गोल फल- पूसा हाईब्रिड- 6, पूसा हाईब्रिड 9, पूसा परपल राउंड, पी एच- 4, पूसा अनमोल, पन्त, ऋतुराज, पूसा बिन्दु, पूसा उत्तम- 31, पूसा उपकार, पूसा अंकुर और टी- 3 आदि। संकर किस्में- अर्का नवनीत, पूसा हाइब्रिड- 5, 6, 9 और काशी संदेश आदि।
कतार बोनी
इसके साथ ही अगर ज्यादा उत्पादन चाहिए, तो दो पौधों के बीच की दूरी का खास ध्यान रखा होता है। खाद और उर्वरक खाद व उर्वरक की मात्रा मिट्टी की जांच के हिसाब से ही करनी चाहिए। कतारों का फासला लंबी किस्मों में 60 सेंटीमीटर और गोल किस्मों में 75 सेंटीमीटर रखें। पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें। पौधरोपण के बाद सिंचाई अवश्य करें। विषाणु रोग से बचाव के लिए शुरू से ही कीटनाशक दवाएं प्रयोग में लें।