चायोट लैटिन अमेरिका और विशेष रूप से दक्षिणी मेक्सिको और ग्वाटेमाला के मूल की सब्जी है। लेकिन अब इसे फ्लोरिडा, लुइसियाना, दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, नेपाल और कई अन्य देश में भी उगाया जाता है। चायोट ककड़ी वंश की सब्जी है। इसे नाशपाती, मर्लिटोन, चोको और कस्टर्ड मैरो आदि नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यह एक मौसमी सब्जी है लेकिन कुछ जगहों पर इसकी खेती पूरे साल की जाती है। चायोट में आवश्यक विटामिन, खनिज, और फाइबर होता है। इसमें कैलोरी, वसा, सोडियम और कुल कार्ब्स में कम होता है। यह हृदय स्वास्थ्य में सुधार, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं चायोट की खेती के बारे में…
1. फायदे
चायोट की खेती के बारे में बात करने से पहले इसके फायदे के बारे में भी बात कर लें तो बेहतर होगा। चायोट बहुउपयोगी फसल है। इसके फल, पत्ते और कंद को भी उबाल कर जूस, बेबी फ़ूड, सॉस और पास्ता में खाया जाता है। इतना ही नहीं इसके तने का इस्तेमाल टोकरियां और टोपियां बनाने भी किया जा सकता है। भारत में इसका उपयोग सब्जी के रूप और हरे चारे के लिए भी किया जाता है।
2.जलवायु
चायोट की खेती के लिए औसत तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। इसे पहाडिय़ों या टीले में लगाया जाता है। वहीं इसकी खेती उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अच्छे से होती है।
3. मिट्टी
चायोट की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन याद रखें इसमें ओलिटिक चूना पत्थर की मात्रा अधिक होनी चाहिए। साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 हो तो बेहतर होगा। ऐसी मिट्टी में चायोट की फसल काफी अच्छी होती है।
4. खेत की तैयारी
चायोट की खेती के लिए खेत को जुताई कर समतल बनाना जरूरी है। जुताई के साथ ही मिट्टी में उर्वरक भी अच्छे से मिला दें तो बेहतर होगा।
5. पौधरोपण
इसकी खेती फल को अंकुरित कर किया जा सकता है। एक फल लें और तने को 45 ए के कोण काटकर इसे 4 लीटर मिट्टी के बर्तन में रोप दें। इसे 25 से 29 डिग्री सेल्सियस वाले तापमान में रखें और पानी सीमित मात्रा में दें। पाले का खतरा टलने के बाद इस पौधे को खेत में 8-10 फीट की दूरी रखते हुए रोपें और लताओं को सहारा देने के लिए एक जाली या बाड़ प्रदान करें।
6. सिंचाई
चायोट की खेती के लिए सिंचाई की आवश्यकता वैसे तो कम होती है। फिर भी पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए पौध रोपण के तुरंत बाद सिंचाई कर लें। इसके बाद 10 से 15 दिनों के भीतर सिंचाई करते रहे। इससे फसल अच्छी होगी और उपज भी भरपूर मिलेगा।
7. खरपतवार से सुरक्षा
चायोट की फसल को खरपतवार से सुरक्षित करना जरूरी है। अन्यथा खरपतवार मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्वों को सोखकर पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए समय-समय पर निंदाई गुड़ाई करते रहें।
8. कीट और रोगों से रोकथाम
वैसे तो चायोट के पौधों में किसी तरह की कीट और रोग की गुंजाइश कम ही रहती है। फिर भी इसमें एफिड्स का आक्रमण हो सकता है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए हाथ से या पानी के एक जोरदार विस्फोट के साथ हटाया जा सकता है। अगर कोई अन्य परेशानी दिखे तो उसके अनुसार कीटनाशक छिड़क दे।
9. उपज
चायोट में फूल सितंबर के आसपास लगते हैं। और इसे पकने में एक महीने का समय लग सकता है। अक्टूबर और नवंबर की शुरुआत में जब फल लगभग 4 से 6 इंच व्यास के हो और नरम हो तो इसकी तोड़ाई कर लें।