गिलोय की खेती…
गिलोय को भारत में अमृत पौधा माना जाता है, क्योंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह भारत में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। गिलोय का पेड़ या पौधा नहीं होता है, बल्कि यह टहनियों के सहारे बड़ा होता है और झाड़ी की आकार में फैलता है। इसकी पत्तियाँ हृदय के आकार की और फल लाल रंग का होता है। इस पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तरफ से 3 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। तो चलिए आज बात करते हैं गिलोय की खेती के बारे में..
1.फायदा
जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि गिलोय में काफी मात्रा में औषधीय गुण होते हैं। इसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है। गिलोय व सोंठ के चूर्ण सूँघने से या इसकी चटनी बना के दूध के साथ लेने से हिचकी ठीक हो जाती है। गिलोय को इम्युनिटी बूस्टर कहा जाता है जिससे वायरस से होने वाली बीमारियों शरीर की रक्षा होती है। गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। इसके अलावा इससे डेंगू, पीलिया, अस्थमा, खून की कमी, मेटाबॉलिज्म सिस्टम, बुखार, खांसी, जुकाम और गैस्ट्रोइंटसटाइनल के समस्या में भी मदद करती है।
- नुकसान
वैसे तो गिलोय कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन किसी विशेष बीमारी या समस्या में अपने डॉक्टर से बात करने के बाद ही इसका सेवन करे। अधिक मात्रा में इसका सेवन परेशानी बन सकती है।
- जलवायु
इसकी खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है। इसलिए यदि आपके क्षेत्र में ऐसी जलवायु हो तो आप इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं।
- मिट्टी
गिलोय की खेती के लिए मध्यम काली मिट्टी और लाल बलुई मिट्टी दोनों ही ज्यादा अच्छी होती है। वहीं आजकल गिलोय की खेती गमले में की जाने लगी है। इसमें भी गिलोय होता है, पर मिट्टी का ख्याल रखना पड़ता है।
- खेत की तैयारी और बोआई
गिलोय की यदि आप खेती करने जा रहे हैं तो सबसे पहले खेत की जुताई अच्छे स कर लें। ताकि खेत में मौजूद खरपतवार आसानी से खत्म हो जाए। इसके बाद इसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 टन उर्वरक और नाइट्रोजन की आधी खुराक अच्छी तरह से मिला दें। इसके बाद इसकी बोआई जून – जुलाई में तनों की कटाई कर दो गांठों सहित 6 -8 इंच की कटिंग बना के उसे 24 घंटों के अंदर, 3 बाई 3 मीटर की दुरी रखते हुए सीधे खेत में रोप दें।
- सहारा
गिलोय के पौधे को उगाने के लिए सहारे की जरुरत होती है जो की किसी लकड़ी की खपच्चियों या झाड़ी या पेड़ के इस्तेमाल से मिल सकता है। इसलिए इसका भी ध्यान रखें।
- सिंचाई
पौधरोपण के तुरंत बाद ही सिंचाई अवश्य करें। गिलोय की अच्छी पैदावार के लिए शीत और गर्म मौसम में सिंचाई करना लाभकारी होता है। गिलोय लगाने के साथ ही पौधों की अच्छे से देखभाल की जरूरत होती है।
- निंदाई-गुड़ाई
गिलोय के पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए इसकी निंदाई गुड़ाई समय-समय पर करती रहनी चाहिए। अन्यथा खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों को सोखकर पौधों की बढ़वार रोक देते हैं और फसल प्रभावित हो जाती है।
- कटाई
गिलोय के तने की कटाई पतझड़ के समय करनी चाहिए। लेकिन ध्यान रखें तने की लंबाई दो से ढाई सेंटीमीटर की हो जाए, तब कटाई करें। इसके बाद इसे छाया में सुखाकर रखें और फिर उसके बाद इसकी पैकिंग कर ठंडे और हवादार स्थान में रख दें।
- उपज
गिलोय की खेती यदि अच्छे से