गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। और दो महीने बाद बरसात शुरू हो जाएगा। इसलिए किसान भाई अपनी खेतों की तैयारी गर्मी में ही कर लें। ताकि बरसात शुरू होते ही उसमें फसल बोई जा सके। इसके अलावा अभी गर्मी के चलते खेत भी सूखे रहते हैं, इसलिए उसमें घास और अन्य प्रकार की खरपतवार के उगने की संभावना नहीं के बराबर होती है। लेकिन बरसात लगते ही इनके पैदावार बढ़ जाती है और यदि आप उस समय खेतों की तैयारी की सोचेंगे तो ये मुश्किल हो जाएगा। तो चलिए आज बात करते हैं

गर्मी में खेतों की तैयारी को लेकर…
सबसे पहले तो किसान भाई यह देखें कि उन्होंने अपने खेत में क्या फसल ली और ये क्या फसल लेना चाहते हैं। खेत की तैयारी भी इसी तरीके से करें तो ज्यादा अच्छा होगा। जैसे यदि आपने कपास, गन्ना, धान, केला, पपीता, मिर्च की फसल ली हो तो फसल समाप्ति के बाद उसके अवशेष को उपयुक्त साधन द्वारा एकत्रित कर लें। इसके साथ मेढ़ों पर कई पोषक पौधे उग आते हैं, जिन्हें नष्ट करने के बजाय उसके इस्तेमाल कम्पोस्ट खाद बनाने में करें। इसके साथ ही खेतों की गहराई जुताई करनी चाहिए। मई-जून में नीम के पेड़ से गिरने वाली निम्बोली इक_ी करके रखें। नीम की गरी का अर्क बनाकर आरम्भिक अवस्था में छिड़काव के काम आएगी।

मिट्टी में सुधार के उपाय…
देखने में आया है कि कुछ किसानों की मिट्टी की स्थिति काफी अच्छी रहती है। फिर भी उस पर समुचित ध्यान देना ज्यादा अच्छा होता है, ताकि वो लंबे समय तक अपनी स्थिति बरकरार रख सकें। इसके लिए सबसे जरूरी है- सही समय पर खेत की जुताई, कटाव को रोकना, सही फसल-चक्र का चयन, हरी खाद और कार्बनिक खादों का उपयोग, जल-निकास का प्रबंध। किसान यदि मिट्टी की स्थिति अच्छी रखना चाहते हैं, तो खेत में पर्याप्त नमी होने पर ही इसकी जुताई करनी चाहिए। खेत में कम या अधिक नमी होने पर जुताई करने से मिट्टी की संरचना बिगड़ जाती है। मिट्टियों के लिए जैविक खाद का ही प्रयोग करें तो बेहतर होगा। इससे मिट्टी के महत्वपूर्ण गुणों बरकरार रहते हैं। वहीं कार्बनिक खादों में मुख्य रूप से गोबर की खाद और कम्पोस्ट का प्रयोग किया जा सकता है।