सुकमा जिले के किसान धान, मक्का और सब्जी-भाजी की खेती के अलावा अब आलू की खेती और नारियल का बागान तैयार करने लगे है। अब वे खरीफ एवं रबी फसलों की खेती के साथ-साथ कृषि आधारित अन्य आयमूलक गतिविधियों जैसे- मछली पालन, कुक्कुट पालन, पशुपालन को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में जुटे है। किसानों के इस प्रयास में छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना से बड़ी मदद मिली है। नाला (नरवा) के उपचार से वनांचल में जल उपलब्धता और सिंचाई का रकबा बढ़ा है, जिसका सीधा लाभ खेती-किसानी को हुआ है। नहर, नालियों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार और ट्यूबवेल से सिंचाई सुविधा का लाभ उठाकर सुकमा अंचल के कृषक अब दोहरी फसलों के साथ-साथ नगदी फसलों की खेती करने लगे है।

    जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम नागारास के कृषक कवासी बोंके अपने 3 एकड़ कृषि भूमि पर आलू की खेती की है। रेतीली मिट्टी और आलू उगाने के लिए अनुकूल जलवायु के कारण उन्होंने धान की फसल लेने के बाद आलू की खेती की है। फसल की स्थिति को देखते हुए अच्छी पैदावार की उम्मीद है। आलू रबी फसल है, इसलिए पानी की आवश्यकता कम होती है। खेत में बोरवेल की सहायता से फसल को पानी उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने ड्रिप सिस्टम लगाया है। आलू की फसल लगभग 120 दिन में तैयार हो जाती है। मार्च महीने तक आलू के बम्पर उत्पादन की उम्मीद है।

    नारियल की डिमांड को देखते हुए अब छिन्दगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत उरमापाल के किसान नारियल का बाग तैयार करने में जुटे है। सुकमा अंचल में गर्मी के दिनों में सीमावर्ती राज्य ओडिसा, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना से नारियल विक्रय के लिए आता है। उरमापाल के किसान बारसे गंगा राम और बारसे मनमोहन बृज ने अपने खेतों में पानी की पर्याप्त सुविधा को देखते हुए धान के अलावा नारियल पौधरोपण में रुचि दिखाई। कृषकों ने बताया कि कृषि विभाग सुकमा द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 में केराचन्द्र प्रजाति के 50 नग नारियल पौधारोपण के लिए दिया गया था। इन पौधों को किसान खेत के मेड़ों में लगाए। जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती रहे। दो वर्ष बाद नारियल पेड़ में फल आना पूर्ण रूप से प्रारंभ हो गए और अब फल भी आने लगे हैं। कृषकों को नारियल उत्पादन से अच्छी आमदनी की उम्मीद है। नारियल पेड़ एक बार लगाने के बाद 40-45 साल तक फलोत्पादन होता है। नारियल के एक पेड़ में लगभग 200 फल का उत्पादन एक साल में मिल जाता है। किसानों को नारियल के पेड़ों से इस साल लगभग दो लाख रूपए की आमदनी होने का भरोसा है।