खेती के साथ-साथ मछली पालन से हो रही
खेती के साथ-साथ मछली पालन से हो रही

किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रदेश सरकार द्वारा खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है तथा इसके लिए अनेक योजनाएं भी चलाई जा रही है। किसानों द्वारा खेती के साथ मत्स्य पालन करने से उन्हें आमदानी का एक अतिरिक्त जरिया मिल गया है और आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है। जिले के सिलवानी विकासखण्ड के ग्राम इमलिया निवासी किसान श्री मनोहर कुशवाह भी खेती के साथ मत्स्य पालन अपनाकर उन्नति की ओर अग्रसर हैं।

किसान श्री कुशवाह बताते हैं कि वर्ष 2019 में अप्रैल माह में मत्स्य विभाग और कृषि विभाग की योजना के अंतर्गत राज्य के बाहर प्रगतिशील किसानों के खेतों का भ्रमण किया था। जहां उन्होंने अनेक किसानों को खेती के मछली पालन करते हुए देखा। इसके बाद मत्स्य पालन विभाग में सम्पर्क किया जहां सहायक संचालक श्री राजेश श्रीवास्तव द्वारा उन्हें मत्स्य पालन की जानकारी दी गई। श्री कुशवाह को योजना के तहत एक एकड़ में तालाब के लिए एक लाख 40 हजार रूपए की अनुदान राशि प्रदान की गई। विभाग द्वारा पंगेसियास और आईएमसी मछलियों के बच्चे उपलब्ध कराने में सहायता भी की गई।

किसान श्री कुशवाह ने बताया कि पहले वर्ष पवारखेड़ा से 20000 पंगेसीएस एवं 10000 रोहू कतला नरेन कॉमनकार मछलियों के बच्चों का पालन किया। जिसमें पहले वर्ष में मछलियों पर एक लाख 20 हजार रूपए तथा दानें पर चार लाख रूपए खर्च आया। इसमें सात महीनें में सभी खर्च निकालने के बाद लगभग दो लाख रूपए का मुनाफा हुआ। मनोहर ने दूसरे वर्ष में आंधप्रदेश से पांगेसियास मछली के 25000 बच्चे बुलवाए, जिनकी लागत एक लाख 20 हजार रूपए आयी। इसके अतिरिक्त मछलियों के दानें पर 6 लाख रूपए खर्च आया। श्री कुशवाह ने बताया कि इस बार उन्हें लगभग चार से पॉच लाख रूपए का मुनाफा होने की उम्मीद है। इसके अलावा रोहु रोग कतला नरेन मछली के विक्रय से भी लगभग डेढ़ से दो लाख रूपए का मुनाफा होने की उम्मीद है। श्री मनोहर बताते हैं कि खेती के साथ मत्स्य पालन अपनाने से उन्हें अतिरिक्त आमदानी प्राप्त होने लगी है और उनके आर्थिक स्थिति भी पहले से बेहतर हो गई है।