महिलाओं द्वारा अब मल्चिंग विधि से सब्जी की खेती शुरू की गई है। इस विधि से सब्जी की खेती करने से उत्पादन अच्छी होगी जिससे महिलाओं की आमदनी में वृध्दि होगी। अम्बिकापुर जनपद के आदर्श गोठान सोहगा में करेला, लौकी, कद्दू आदि की खेती मलिं्चग विधि से की गई है। इस विधि से खेती के लिए समूह की महिलाओं को जरूरी तकनीकी मार्गदर्शन एवं सामग्री उद्यान विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया है। नगद फसल के रूप में फायदेमंद सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए गोठानों के बाड़ी में अंतरवर्ती खेती भी की जा रही है।
उपसंचालक उद्यान के.एस. पैकरा ने बताया कि मलिं्चग विधि से खेती सबसे सस्ता और अच्छी तकनीक है। मलिं्चग तकनीक खरपतवार नियंत्रण और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में बेहद कारगर है। इसमे सिंचाई जैसी समस्या से भी निजात मिलती है। इस विधि में बेड को प्लास्टिक से पूरी तरह कवर कर दिया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार न हो। लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर द्वारा सही तरीके से ढकने को ही प्लास्टिक मलिं्चग कहते है।
आखिर क्या है मल्चिंग विधि से खेती
खरपतवार और सिंचाई जैसी समस्या से मुक्ति के लिए नई तकनीक विकसित की गई है, जिसका नाम है मल्चिंग विधि। इस विधि में बेड को प्लास्टिक से पूरी तरह कवर कर दिया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार न हो। खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर द्वारा सही तरीके से ढकने को प्लास्टिक मल्चिंग कहते हैं। बेड पर बिछाई जाने वाली कवर को पलवार या मल्च कहते हैं। प्लास्टिक मल्चिंग सब्जियों और बागवानी के लिए काफी फायदेमंद है। इस तकनीक का उपयोग टमाटर, खीरा, करेला, लौकी, पपीता, अनार इत्यादि फसलों के लिए कर सकते हैं।