वैसे तो खेती-किसानी को लेकर अक्सर कहा जाता है कि ये परंपरागत है या किसानी हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन इस मिथक को तोडऩे का काम कर रहे हैं हमारे युवा। जो खेती-किसानी से जुड़कर अपनी अलग ही पहचान बनाने में जुटे हुए हैं।
इसी में शामिल हैं उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में बघौली ब्लॉक क्षेत्र के सिकोहरा गांव के युवा गोविंद चौधरी। गोविंद ने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की है और फिर नौकरी की ना मुड़कर वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़े। यानी गोंविद ने खेती और पशुपालन की बदौलत तकदीर संवारने की ओर कदम बढ़ाया। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, सब्जी की खेती में मुनाफा मिलना शुरू हुआ तो अन्य किसानों को भी जोड़कर उन्हें भी उन्नतशील खेती की तरफ मोडऩे का प्रयास किया। अब तक क्षेत्र के 700 किसान उनसे जुड़ चुके हैं।
बताया जाता है कि गोंविद के पिता एक कंपनी में कार्य करते हैं। गोंविद ने वहां भी काम करने की कोशिश की, लेकिन मन नहीं लगा तो वापस गांव लौट आए और पिता के बड़े भाई हरिहर प्रसाद चौधरी से मिलकर किसानी में जुट गए।
उन्होंने पशुपालन भी किया है। इससे 25 लीटर प्रतिदिन दूध उपलब्ध हो जाता है। इससे उन्हें करीब 600 रुपए की आमदनी हो जाती है। इसी के साथ गोंविद ने किसानों का एक वाट्सग्रुप भी बनाया है और खेती-किसानी संबंधी जानकारी सांझा करते रहते हैं। साथ ही कृषि विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से मिलकर भी उन्नत किसानी संबंधी जानकारी लेते रहते हैं।
कुल मिलाकर खेती-किसानी की ओर युवाओं का उन्मुख होना एक अच्छा संकेत है। इससे युवाओं में आत्मनिर्भरता के साथ उन्नत किसानी के गुण भी आते हैं।