खजूर की खेती
खजूर की खेती

खजूर में भरपूर मात्रा में शूगर, कैल्शियम, सेलेनियम, कॉपर, अमीनो एसिड, फॉस्फोरस, पोटाशियम और आयरन पाए जाते हैं, तो हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसके साथ ही खजूर हृदय रोग को कम करने, हड्डियों को मजबूत, कब्ज से राहत, गर्भावस्था, वजन बढ़ाने और दस्त को नियंत्रित करने, त्वचा निखारने, सर्दी, जुकाम, जोड़ों का दर्द, पेट दर्द में भी मददगार है। तो चलिए आज हम बात करते हैं खजूर की खेती के बारे में…

1. परिचय

खजूर की खेती के पहले इसके बारे में जानकारी लेना भी जरूरी है। खजूर ताड़ प्रजाति का पेड़ है। इसकी ऊंचाई 40 फीट से 80 फीट तक हो सकती है। वैसे तो खजूर के मूल स्थान के बारे में  पता लगाना मुश्किल है। लेकिन आजकल इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाने लगी है। क्योंकि पोषक तत्वों से भरपूर खजूर की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।

2. जलवायु

खजूर शुष्क और अर्द्ध-शुष्क जलवायु की फसल है। इसकी खेती ऐसी जगहों पर की जाती है, जहां बहुत गर्मी, कम वर्षा और बहुत कम आर्द्रता हो। इसलिए ज्यादातर खजूर की खेती मरुस्थलीय में की जाती है जहाँ बहुत गर्मी, कम वर्षा और बहुत कम आर्द्रता हो। इसके पौधे को शुरुआत में 30 डिग्री के आस-पास तापमान चाहिए होता है, और फल लगने पर 45 के आस-पास तापमान चाहिए होता है।

3. मिट्टी

खजूर की खेती के लिए रेतीली भूमि अच्छी मानी जाती है। ध्यान रखें भूमि रेतीली होनी चाहिए, न कि कठोर। रेतीली मिट्टी में जल निकासी का उचित व्यवस्था हो, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए।

4. किस्में

खजूर की कई किस्में आजकल उपलब्ध हैं, लेकिन इसमें भी मेडजूल खजूर, कलमी खजूर, खुनेजी खजूर, बरही खजूर, अजवा खजूर, अंबर, खुदरी, सुक्कारी, सफावी किस्में मुख्य हैं।

5. खेत की तैयारी

खजूर की खेती से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए। उसके बाद खेत में पाटा चला देना चाहिए जिससे मिट्टी समतल हो जाएगी। फिर एक मीटर व्यास वाले एक मीटर गहरे गड्डे तैयार लेना है और उसमे पुरानी गोबर खाद, उचित मात्रा में फोरेट या कैप्टान भर देना है।

6. बोआई

खजूर को बीज और पौधे दोनों ही तरीके से बोआ जा सकता है। बीज से बोआई में वक्त लगता है, इसलिए सीधे पौध रोप से खेती करना ज्यादा आसान है। दो गड्डों के बीच में एक और गड्डा बनाकर उस गड्डे में खजूर के पौधे को रोपा जाता है।

7.बोआई की समय

खजूर के पौधे को खेत में लगाने का सही समय अगस्त महीना होता है। इसलिए इसके पौधे को आप अगस्त महीने में ही लगाएं तो ज्यादा बेहतर होगा। आपको बता दें कि एक एकड़ क्षेत्र में आप अधिकतम 70 खजूर के पौधे लगा सकते हैं।

8. सिंचाई

खजूर के पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि शुष्क और अद्र्ध-शुष्क स्थानों की फसल है। इसलिए गर्मियों में महीने में दो बार और ठंड के मौसम में एक बार ही सिंचाई पर्याप्त होती है। पर जब पौधे पर फल आने लगे तब पौधे के पास नमी बनाए रखने के लिए जरुरत के अनुसार सिंचाई कर देनी चाहिए।

9. उर्वरक

खजूर के पौधों में शुरू के पांच साल तक पुरानी गोबर की खाद देते रहें। और जब फल लगने लगे तो खाद की मात्रा का भी ध्यान रखें। इसके अलावा साल में 2 बार प्रति एकड़ के हिसाब से 4 किलो यूरिया देना चाहिए।

10. खरपतवार नियंत्रण

खजूर के पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए समय-समय पर निंदाई गुड़ाई करते रहना चाहिए। अन्यथा खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों को सोखकर पौधों की बढ़वार रोक देते हैं। इसलिए समय-समय पर निंदाई गुड़ाई करते रहें।

11. कीट और रोग

खजूर के पौधों में कई प्रकार के कीट और रोग का संक्रमण देखा गया है। इसलिए इसकी रोकथाम जरूरी है। खजूर के पौधों में दीमक का संक्रमण दिखें तो तुरंत उपचार कर लेना चाहिए। दीमक पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, और धीरे-धीरे पूरे पौधे को खत्म कर देता है। इसकी रोकथाम के लिए उचित मात्रा में क्लोरपाइरीफास को पानी में मिला कर पौधे के जड़ में डालना चाहिए। इसके साथ ही यदि खजूर के पौधे में सफेद और लाल किट दिखे तो एक्टामिप्रिड या इमीडाक्लोप्रिड का छिड़काव करना चाहिए।

12. तोड़ाई

खजूर की तुड़ाई तीन चरणों में होती है। पहला चरण जब फल ताज़े और पके हुए हों। दूसरा फलों के नर्म पडऩे पर। तीसरा फलों के सुख जाने के बाद।

13. उपज

खजूर के पौधे 5 से 6 साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं। और समय के साथ साथ इसकी उपज में लगातार बढ़ोतरी होती जाती है। 10 साल का पेड़ अधिकतम 70 किलो और 15 साल की उम्र का पेड़ 200 किलो उपज दे सकता है। जिसके बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं।

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