किसानों को उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से फसलचक्र परिवर्तन के तहत् नकदी फसल लेने पर जोर दिया जा रहा है। फसलचक्र को अपनाने से किसानों को इसका लाभ भी मिल रहा है। बंगालापारा नारायणपुर निवासी कृषक संतोष राव ग्राम सूपगांव में जंगल के बीच में लगभग सवा एकड़ भूमि में मौसमनुसार विभिन्न प्रकार के फल सब्जियों की खेती कर रहे है। श्री संतोष राव अपनी जमीन पर बोर कराने के बाद कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र नारायणपुर में माह अक्टूबर 2020 में सम्पर्क कर कृषि तकनीकी की जानकारी ली व जमीन में दीमक प्रकोप की समस्या भी बताई। अधिष्ठाता डा.रत्ना नशीने तथा डा.जीवन लाल नाग उद्यानिकी वैज्ञानिक ने खेत का भ्रमण किया तथा दीमक प्रकोप को खत्म करने के लिए तकनीक बताई और दीमक बाम्बी पर रायासानिक उपचार किया गया। जिसके उपरान्त दीमक का प्रकोप लगभग खत्म हो गया। इसके बाद संतोष राव को जुताई कर कलिन्दर (तरबूज) की खेती के लिए मार्गदर्शन दिया गया, जिससे 2 डिसमिल में तरबूज और 2 डिसमिल में ककड़ी लगाया। इस पूरी खेती को करने में कुल लागत रूपये 20 हजार थी और उनके द्वारा लगभग 48 हजार के कलिन्दर और ककड़ी बेची गई। शुद्ध लाभ को देखते हुए संतोष राव ने बाकी खाली भूमि में भी सब्जियाँ उगाने का मन बनाया और 4 डिसमिल में मिर्च टमाटर, 2 डिसमिल में बैगन एवं लौकी तथा 4 डिसमिल में तोराई एवं करेला की खेती की जा रही है।
कृषक संतोष राव ने बताया कि वह मिर्च की लगभग एक क्विंटल से ज्यादा की तुड़ाई कर चूका है। इसी प्रकार टमाटर 80 किलो, बैगन 30 किलो, लौकी-तोराई 70 किलो, करेला 75 किलो की तुड़ाई कर चूके हैं। उन्होंने बताया कि सब्जियाँ बेचने उन्हे बजार नहीं जाना पड़ता है। थोक क्रेता (कोचिया) स्वयं ही खेत से सब्जिया लेकर जाते हैं। प्रारम्भ में उन्होंने कड़धान्य फसलों को लेने के लिए सोचा था परन्तु जिला प्रशासन एवं कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र नारायणपुर के द्वारा जमीन का अवलोकन कर साग-भाजी की खेती करने की सलाह दी गई और कृषक श्री संतोष राव ने खेती करना शुरू किया। जहाँ से परिवार के लिए ताजी साग-भाजी उपलब्ध हो रही है और अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहाँ कि कोराना काल में भी उन्हें शुद्व सब्जियाँ प्राप्त हो रहे है और मटासी जमीन से आय प्राप्त हो रही है। कृषक संतोष राव द्वारा संतोष व्यक्त किया गया और खेती के क्षेत्रफल को और बढ़ाने की इच्छा जाहीर की। कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा फसल चक्र परिवर्तन कर नकदी फसल को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिला प्रशासन एवं कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र नारायणपुर के द्वारा भविष्य में भी उन्हें पूर्ण मार्गदर्शन मिलेगा ।