वैसे मानसून और बारिश के समय बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है, लेकिन फिर भी बारिश तो बारिश है। इस समय कई कीट प्रकोपों की संभावना के साथ ही बीमारियां का खतरा भी बना रहता है। इसलिए सावधान रहने की ज्यादा जरूरत है। इसके साथ ही आपको बता दें कि मानसून और जलवायु के उतार- चढ़ाव के साथ ही फसलों पर भी खास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसलिए किसानों को लगातार अलर्ट रहने की जरूरत है।
खैर, अब खबर आ रही है कि असम और सिलिगुड़ी के चाय बागान मालिकों को बदलते मौसम से होने वाला नुकसान अपने खेतों में दिखने लगा है। बताया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से बढ़े तापमान का असर यह हुआ कि तरह-तरह के कीटों का हमला बढ़ गया है और कीटों से बचाने ज्यादा कीटनाशक के छिड़काव से उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। बताया जाता है कि चाय बागान में लगने वाला रेड स्पाइडर माइट (कीट) मार्च-अप्रैल में लगता था, वो अब पूरे साल नुकसान पहुंचाने लगा है।