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गोभी परिवार की पौष्टिक सब्जी कोलार्ड ग्रीन्स… खेती और लाभ…
कोलार्ड ग्रीन्स गोभी परिवार की एक पौष्टिक सब्जी है। इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में पाया जाता है। साथ ही इसमें प्रोटीन, विटामिन-के और मिनरल काफी मात्रा में होता है। इसकी खेती मुख्यत: ब्राजील, केन्या, पुर्तगाल, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, जिम्बाब्वे, इटली, तंजानिया, युगांडा, बाल्कन, उत्तरी स्पेन आदि देशों में की जाती है। लेकिन अब इसकी खेती भारत में भी की जाने लगी है। कश्मीर इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। तो चलिए आज हम बात करते हैं कोलार्ड ग्रीन्स की खेती के बारे में…

  1. जलवायु
    वैसे तो कोलार्ड ग्रीन्स की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। लेकिन इसे धूप मिलता रहे, ऐसे स्थान का चयन अवश्य करें। यदि आप गर्म ग्रीष्मकाल और हल्के सर्दियों वाले जगहों में खेती करना चाहते हैं, तो जब तापमान लगभग 7ए सेल्सीयस हो जाए, तब इसकी बोआई करें।
  2. मिट्टी
    कोलार्ड ग्रीन्स की खेती के लिए सूखी, कार्बनिक पदार्थों से युक्त मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है। इसका पीएच मान 6 के आसपास होना चाहिए। इससे उपज अच्छी होती है।
  3. किस्में
    कोलार्ड ग्रीन्स की प्रमुख किस्में ब्लू मैक्स, चैंपियन, वेट्स, मॉरिस हेडिंग, फ्लैश, जॉर्जिया एलएस, तर्वे ट्रेंचुडा, ग्रोनिंगर ब्लौव और टॉप बंच आदि हैं।
  4. तैयारी
    कोलार्ड ग्रीन्स की खेती के लिए सबसे पहले खेतों को साफ करना आश्वयक है। खुदाई से पहले खेत में 4 इंच खाद की परत फैलाएं और उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दे। एक कोलार्ड के पौधे की जड़ें 2 फीट अधिक की गहराई तक आसानी से पहुंच जाती हैं। इसीलिए मिट्टी को जितना संभव हो उतना गहरा या कम से कम 10 इंच खोदें।
  5. बोआई
    कोलार्ड ग्रीन्स कोलार्ड को प्रत्यारोपण से या सीधे खेत में बीज बोके खेती किया जा सकता है। जब मिट्टी का तापमान 7ए सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो कोलार्ड के बीज अंकुरित होते हैं।
  6. सिंचाई
    कोलार्ड ग्रीन्स की सिंचाई बीज रोपने के तुरंत बाद और जरूरत हो तो हफ्ते में एक बार अवश्य सिंचाई करें। बारिश का मौसम हो तो सिंचाई न करें, लेकिन यदि बारिश न हो तो सिंचाई का ध्यान अवश्य रखें।
  7. उर्वरक
    कोलार्ड ग्रीन्स में हरे पत्तों के लिए नाइट्रोजन की जरुरत होती है। बीज बोने के समय प्रति पौधे के लिए 1 चम्मच उर्वरक दे।
  8. खरपतवार से सुरक्षा
    कोलार्ड ग्रीन्स को खरपतवार से बचाने समय -समय पर निंदाई गुड़ाई करते रहें। ताकि जड़ अच्छी पकड़ वाले हों।
  9. कीटों से बचाव
    यदि पौधों की पत्तियों पर धब्बे हैं, तो आपको कवकनाशी का उपयोग कर सकते हैं। नीम का तेल, सल्फर, जैविक विकल्पों में बीटी आधारित कीटनाशक, और अन्य कवकनाशी उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
  10. कटाई
    पौधों की जमीन से लगभग 4 इंच ऊपर से कटाई करें।