देवी सिंह ग्राम मंगरोला का सामान्य किसान है, उनके परिवार में लगभग 50 बीघा खेती है सामान्य तौर पर प्रचलित खेती ही परिवार में होती थी किंतु पारिवारिक संपर्क खरगोन जिले में होने के कारण वहां की खेती देखकर उन्हें कुछ नया करने की सूझी, जिस पर गत वर्ष अपने 1 बीघा खेत में कपास की खेती करने का प्लान बनाया। खेत में जो पथरीला क्षेत्र था जहां कम मिट्टी थी ऐसे क्षेत्र का चयन किया और एक बीघा खेत में कपास की खेती शुरू की वे राशि आरसीएच- 659 किस्म का बीज लाये। एक बीघा खेत में लगभग 700 ग्राम बीज बोकर खेती की।
कपास के लिए मई के अंतिम माह में पॉलिथीन बैग में बीज का रोपण किया और पौधे तैयार किए जून के द्वितीय सप्ताह में हल्की बारिश के समय एक निर्धारित दूरी पर खेत में पौधों का रोपण किया और खेती को आगे बढ़ाया। देवीसिंह को लगा कि इस क्षेत्र में पहली बार खेती कर रहा हूं तो कुछ परेशानियां भी आ सकती है किंतु समय के साथ खेती अच्छी होती रही और कल्पना से भी कम लागत में खेती कर सके ।
देवीसिंह को पहले वर्ष एक बीघा खेत में लगभग 20000 से 22000 का शुद्ध मुनाफा हुआ ,जिस से प्रेरित होकर इस वर्ष 22 बीघा खेत में कपास की खेती की है, शेष खेतों में पपीता ,केला ,फूल एवं उक्त पौधों की बीच की जगह में खाद्यान्न की फसलों की खेती की है। उन्हें अनुमान है इस बार लगभग 30000 प्रति बीघा तक की आमदनी प्राप्त होगी। उनका अनुभव कहता है कि यहां कपास की खेती नई होने के कारण कीट व्याधि का प्रकोप बहुत कम होता है जिससे मुझे कीटनाशक पर व्यय होने वाली काफी राशि की बचत हो रही है गत वर्ष औसत 6 क्विंटल प्रति बीघा कपास प्राप्त किया था इस बार लगभग 8 क्विंटल प्रति बीघा उत्पादन होना संभावित है। इस वर्ष उन्होंने गत वर्ष की तुलना में कुछ कीटनाशक की मात्रा अधिक भी रखी है जो अधिक और अच्छे उत्पादन में सहायक है। उज्जैन में कपास की बाजार व्यवस्था नहीं होने से उन्हें विक्रय हेतु खरगोन जाना पड़ा यदि क्षेत्र के किसान कपास की खेती करने लगेंगे तो बाजार भी यही मिल सकेगा , वे क्षेत्र के किसानों से आवाहन करते है कि किसान उनके खेत पर आए देखें और कपास की खेती कर लाभ कमाएं।