लहसून की खेती
लहसून की खेती

मसाला और औषधि के रूप में लहसुन का उपयोग बहुतायत में किया जाता है। वैसे लहसुन ठंडी जलवायु की फसल है। लेकिन इसके विकास के लिए उपयुक्त जलवायु का होना अति आवश्यक है, क्योंकि इसकी फसल के लिए ना ज्यादा ठंड और ना ही ज्यादा गर्मी की आवश्यकता होती है। तो चलिए आज हम लहसुन की खेती को लेकर ही बात करते हैं।
जैसा कि आप जानते ही हैं लहसुन हमारे देश में दो प्रकार का उगाया जाता है। एक सफेद और एक लाल। लेकिन मसाले के रूप में सफेद लहसुन ही ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। वहीं लाल लहसुन को औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

लहसुन की खेती का सबसे उपयुक्त समय बरसात का मौसम ही होता है। वो भी सितंबर के आखिर सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी बोवाई की जाए तो फसल ज्यादा अच्छा होता है। इसके साथ ही लहसुन की खेती के लिए भूमि का चयन भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भूमि से ही किसी भी फसल की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। लहसुन की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन यदि आप इसे दोमट व समतल भूमि पर लगाएं तो ज्यादा अच्छा होगा। हां, इतना जरूर है कि आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि भारी भूमि में यदि लहसुन की खेती की जाए तो लहसुन के कंद बिगड़ सकते हैं, इसलिए इसका विशेष ख्याल रखें।

इसके अलावा आपको एक बात और बता दें कि लहसुन एक उथली जड़ वाला पौधा है। इसलिए गहरी जुताई की जरूरत इसके लिए नहीं पड़ती, फिर भी देशी हल से आप 4-5 बार जुताई कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि लहसुन के विकास के लिए भूमि का ढेलारहित होना अति आवश्यक है।

वैसे आमतौर पर लहसुन की बुवाई तीन विधियों से की जाती है- इसमें हाथ से बुवाई, डबलिंग द्वारा बुवाई करना और हल के पीछे कूंड में बुवाई करना मुख्यत: है। तो आप निर्धारित कर लीजिए कि आप किस तरह की बुवाई करना चाहते हैं। लहसुन की खेती से अधिकतम पैदावर प्राप्त करने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना बेहद आवश्यक है। लहसुन की फसल के लिए सिंचाई की भी ज्यादा आवश्यता नहीं पड़ती, इसलिए इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि यदि खेत में पानी जरूरत से ज्यादा है, तो तुरंत इसके निकासी की व्यवस्था करें। साथ ही इसमें समय-समय पर खाद भी देते रहें।

लहसुन के फसल के बढऩे के समय इसके साथ-साथ कई प्रकार के खरपतवार भी उग आते हैं। इसके समय-समय पर निकालते रहना चाहिए, नहीं तो ये खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों को खींच लेते हैं और फसल का उत्पादन प्रभावित हो जाता है।