गन्ना उत्पादकों किसानों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। इसके तहत अब गन्ने का 2020-21 (अक्तूबर-सितंबर) मार्केटिंग वर्ष के लिए एफआरपी दाम 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने को मंजूरी दी गई। आपको बता दें कि यह गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है।
वहीं अब गन्ना के उचित एवं लाभकारी (एफआरपी) मूल्य 10 रुपये बढ़ाकर 285 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसमें कहा गया है कि खाद्य मंत्रालय ने अगले मार्केटिंग सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 275 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव दिया था। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य खुद गन्ने का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करते हैं जिसे स्टेट एडवाइजरी प्राइज या एसएपी कहा जाता है। यह आमतौर पर केंद्र सरकार के एफआरपी से अधिक होता है।
ये हैं सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य
आपको बता दें कि देश में वैसे तो कई राज्यों में गन्ने की खेती की जाती है, लेकिन इसमें भी सबसे पहले नंबर पर उत्तरप्रदेश राज्य आता है। 2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है।
इसके बाद 2015-16 में गन्ने के 72.26 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
वर्ष 2015-16 में कर्नाटक 34.48 मिलियन टन गन्ना उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर आता है। तमिलनाडु गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि 26.50 मिलियन टन गन्ना का अनुमानित उत्पादन करता है। बिहार 14.68 मिलियन टन गन्ना के उत्पादन के साथ आता है।