वैसे तो हमारे देश में धान की हजारों तरह की प्रजातियों की खेती की जाती है। यानी देश के प्राय: हर राज्य में अलग-अलग प्रकार की धान की खेती की जाती है। लेकिन उत्तरप्रदेश में उगाई जाने वाली बासमती धान के क्या कहने। यहां की बासमती देश में अपनी खुशबू के लिए तो मशहूर है ही, लेकिन इस बासमती चावल के विदेशी में दीवाने हैं, तभी तो यहां के बासमती चावल का निर्यात सऊदी अरब, ईराक, ईरान, दुबई, संयुक्त अमीरात, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जापान, कोरिया, कनाड़ा, नाइजीरिया आदि देशों में किया जाता है।
अच्छी बारिश के चलते इसके पौध की रोपाई तेजी से शुरू हो गई है। पुरवा तहसील क्षेत्र के निदाखेड़ा, रामापुर, अमरापुर, चमियानी, धिरजीखेड़ा, कुशलखेड़ा, विशुनपुर, टीकरखुर्द, चंदीगढ़ी व बीघापुर तहसील क्षेत्र के त्रिपुरारपुर, रम्माखेड़ा, पूरनदासखेड़ा, बेवलमंशाखेड़ा, कोदइयाखेड़ा समेत अन्य गांवों के किसान बासमती देहरादून धान की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। पिछले सीजन में जहां 11270 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बासमती धान बोया गया था। इस बार रकबा बढ़ाकर 12793 हेक्टेयर हो गया है। किसानों का कहना है कि अच्छी बारिश हुई बंपर पैदावार हो सकती है।
बताया जा रहा है कि यहां की बासमती धान लंबा व स्वाद, खूशबू में सबसे अलग होता है। जिस कारण इसकी देश के कई राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी अच्छी मांग रहती है।
वैसे हमारे देश के अन्य राज्यों से भी बड़े पैमाने पर धान का निर्यात किया जाता है, जो अपनी अलग ही क्वालिटी के जाने जाते हैं। लेकिन इन सबसे आगे उत्तरप्रदेश की यही बासमती चावल है, जो देश के साथ-साथ अपनी खुशबू का जादू विदेशों तक में फैला रही है।