वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया है कि पन्ना जिले में खरीफ मौसम में जिले में उड़द की फसल किसानों ने प्रमुखता से ली है। कुछ स्थानों पर उड़द के खेतों में पीला मोजेक नामक बीमारी को देखा गया है। बीमारी का प्रकोप पुरानी किस्मों तथा समय पर पौध संरक्षण विधियों को न अपनाने के कारण ज्यादा होता है।
उन्होंने बताया कि मूंग, उड़द व सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी नामक कीट द्वारा फैलता है यदि समय पर खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया तब यह रोग शीघ्रता से फैलता है। रोग से बचाव हेतु किसान भाई रोग ग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर नष्ट करें तथा हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.6 एस.एल की 150 मि.ली. मात्रा अथवा ऐसिटामिप्रिड की 150 ग्राम अथवा थायोमेथाक्जाम 25 डब्लू डी जी की 100 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टेयऱ के मान से छिड़काव करें। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कीटनाशी का छिडकाव शाम के समय करें। कीटनाषी के साथ अन्य कोई दवा न मिलायें।
प्रारंभिक अवस्था में 5-10 प्रतिशत पौधों में यह रोग दिखता है यदि समय पर रोगी पौधों को खेत से निकालकर नष्ट कर दिया जावे तथा बताये गये कीटनाषियों का छिड़काव किया जावे तब रोग का नियंत्रण सफलतापूवर्क किया जा सकता है।