छत्तीसगढ़ में मक्का की खेती को लेकर किसानों में दिनो-दिन रूझान बढ़ता जा रहा है। बस्तर अंचल में होने वाली मक्का की फायदेमंद खेती अब धीरे-धीरे राज्य के अन्य इलाकों में भी विस्तारित होने लगी है। समर्थन मूल्य पर मक्का की खेती और नगदी फसल के रूप में इससे होने वाली आय को देखते हुए राज्य के सीमावर्ती जिले सूरजपुर के किसान भी अब बढ़-चढ़कर मक्का की खेती करने लगे है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना की वजह से भी मक्का की खेती को बढ़ावा मिल रहा है।
सूरजपुर जिले के सभी विकासखंडों में किसानों को मक्का की खेती के लिए किसानों को मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को मक्का की फसल से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी देने के साथ ही इसके लिए कृषि विभाग की ओर से प्रदाय की जाने वाली सहायता के बारे में भी किसानों को बता रहे है। यहीं वजह है कि सूरजपुर जिले में किसान मक्का की खेती को अपनाने लगे है। सूरजपुर जिले के विकासखंड प्रतापपुर के ग्राम धोंधा के कृषक कमला यादव ने बताया कि कृषि विभाग कसे मिले मार्गदर्शन एवं सहयोग की बदौलत वह मक्का की खेती कर रहें हैं। कृषक श्री यादव ने बताया कि मक्का की खेती मुनाफे वाली है। इससे उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। बीते वर्ष मक्के की खेती से हुए लाभ की वजह से उन्होंने इस साल भी मक्के की खेती की है, साथ ही खेती का रकबा भी बढ़ाया हैं।
मक्के की खेती से होने वाले लाभ के बारे में कृषक श्री यादव बताते हैं कि मक्का खरीफ की फसल है। इसकी खेती रबी मौसम में भी की जाती है। जहॉ पर सिंचाई का साधन है वहॉ पर खरीफ में मक्का की फसल लेने के बाद रबी में भी दूसरी फसल जैसे सरसों, गेहूं की खेती की जा सकती है। यह नगदी फसल है। इसे भुट्टे के रूप में भी बेच कर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। मक्का का उपयोग पशु चारा के रूप में एवं कुक्कुट आहार के रूप में किया जाता है। मक्के की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम हाईब्रिड बीज की जरूरत पड़ती हैै, जिससे लगभग 50 से 60 क्विंटल मक्का की उपज प्राप्त होती है।