मप्र सरकार आजीविका मिशन के माध्यम से समूह बनाकर गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने लगातार प्रयास कर रही है। नर्सरी, कुटीर उद्योग, मुर्गी पालन, भैंस पालन के अलावा अन्य क्षेत्रों का भी प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है और गांवों में उनकी सेवाएं भी ली जा रही हैं। जिसके माध्यम से महिला सशक्तिकरण के साथ आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। अब समूह की महिलाओं को पशु सखी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षित सखियां गांव जाकर लोगों को उन्नत नस्ल के पशु पालने, सामान्य रोगों की जानकारी, बचाव सहित अन्य जानकारी देंगी और खुद भी उसके माध्यम से जुड़कर पशुपालन के जरिए आत्मनिर्भर बनेगी।

    जिले में आजीविका मिशन अंतर्गत संचालित महिला समूहों की 30 सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। गांव अधिकांश लोग पशुपालन करते हैं लेकिन पशुओं की देशी नस्ल के कारण उन्हें उनका सही लाभ नहीं मिल पाता है। प्रशिक्षित सखियां गांव में ऐसे लोगों को उन्नत नस्ल के पशु पालने और उसके लिए शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देंगी। इसके अलावा पशुओं को होने वाले सामान्य रोगों की जानकारी और उससे बचाव के तरीके भी सखी पशुपालकों को बताएंगी और प्राथमिक उपचार भी सखी कर सकेंगी। दूध देने वाले पशुओं की देखभाल कैसे की जाए और दूध उत्पादन के साथ ही अन्य लाभ क्या हो सकते हैं, इसकी जानकारी भी सखियां ग्रामीणों के साथ ही महिला समूह की महिलाओं को भी देंगी।

डेयरी संचालन, बकरी पालन को भी करेंगी प्रेरित
    गांवों में महिला समूह की सदस्यों को शासन की योजनाओं के तहत डेयरी पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन आदि के लिए भी प्रेरित करने का कार्य पशु सखियां करेंगी ताकि गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर होकर पुरूषों के कांधे से कांधा मिलाकर अपने परिवार को अच्छे से भरण पोषण कर सकें। दूसरों को प्रेरित करने के अलावा प्रशिक्षण के बाद सखी भी अपने घरों में पशुपालन व उसे जुड़े अन्य माध्यमों से आय का साधन बनाएंगी।

गो उत्पाद भी करेंगी तैयार
    पशु पालन के साथ ही गौ उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण भी पशु सखियों को दिया गया है। जिसके माध्यम से वे अपने घरों में जैविक खाद, कीटनाशक, गौ मूत्र आदि उत्पाद भी तैयार करेंगी और ग्रामीणों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगी। गौ उत्पादों के माध्यम से पशु सखी अपनी आय का जरिया भी बना सकेंगी।