कांटेदार अनानास को देखकर लोग आश्चर्य करते होंगे कि आखिर ये फल इतना स्वादिष्ट और पौष्टिक कैसे होता होगा। लेकिन पौष्टिकता से भरे अनानास की बात ही कुछ और है। इसका तना बहुत छोटा होता है, लेकिन गांठे मजबूत होती है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके सेवन करने से शरीर के अंदर मौजूद कईं तरह के विष बाहर निकलते हैं। इसलिए इसका सेवन किया जाता है। तो चलिए आज बात करते हैं अनानास की खेती के बारे में…
मिट्टी व जलवायु
अनानास ब्राजील मूल का पौधा है और इसकी खेती के लिए किसी खास प्रकार की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मिट्टी की बात करें तो यह दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा होता है। इसकी खेती के लिए 15 से 33 डिग्री का तापमान का होना आवश्यक है। अनानास की खेती के लिए बरसात का मौसम सबसे उपयुक्त है। क्योंकि बरसात में मिट्टी की नमी बरकरार रहती है और इसके फसल को आसानी से लगाया जा सकता है।
समतल जमीन में कतार तो पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार होती है खेती
अनानास को लगाने के लिए मिट्टी की तैयारी यानी मिट्टी को अच्छी तरह जोत लेने के बाद मैदानी इलाके में कतार बोनी की जाती है, तो पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार होती है। इसकी खेती के लिए इसको बराबर एक कतार से दूसरी कतार में लगाने का कार्य करें। इसको भूमि में 10 सेटींमीटर छोटे रोपे में बोये। भूमि में पौधा सीधा लगाये और उसके कालिका भाग में मिट्टी न भरें।
सिंचाई आवश्यक
आपको बता दें कि इसकी जड़ें प्राय: उथली होती है। इसलिए सूखे मौसम में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। साथ ही महीने में तीन कम से कम तीन बार सिंचाई करना आवश्यक है। लेकिन ध्यान रहें, सिंचाई की आवश्यकता भूमि पर निर्भर है।
उर्वरक लाभकारी
किसी भी फसल में अच्छा उत्पादन के लिए उर्वरक की आवश्यकता होती है। इसलिए अनानास की अच्छी फसल के लिए विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर उवर्रक का इस्तेमाल करें। वैसे इसकी उत्पादन क्षमता पर नाइट्रोजन और पोटेशियम का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही अनानास के पौधे को भूस्तरीय और स्लिप्स को समय-समय पर काटते रहें।
तोड़ाई
इसमें प्राय: पौधरोपण के 15 से 18 महीने बाद फूल आते हैं और फूल आने के बाद 4-5 महीने बाद फल लगने लगता है। जब फूल 80 प्रतिशत तक परिप्कव हो जाए तब आप आसानी से इनको पेड़ों से तोड़ सकते है. लेकिन खाने के लिए पूरी तरह से पकने के बाद ही इनका सेवन करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहें कि अनानास को तोडऩे के बाद लंबे समय तक भंडारण करके नहीं रखा जा सकता, क्योंकि इसके खराब होने का खतरा बना रहता है। ज्यादा से ज्यादा इसे 4 से 5 दिन या हफ्तेभर तक इसका उपयोग कर लेना चाहिए।