चाय की बात हो और अदरक का साथ ना हो…ये तो नाममुकिन वाली बात है। ये तो हुई चाय के साथ अदरक की बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अदरक भारतीय मसालों में काफी महत्वपूर्ण है। चाहे सब्जी हो या नमकीन व्यंजन, आचार या भी चटनी अदरक जरूर शामिल होता है। अदरक की मांग आजकल पूरे वर्षभर होती है, इसलिए किसान भी इसकी खेती की ओर ज्यादा उन्मुख होते हैं। इसके औषधीय गुण भी बहुत हैं और कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल भी किया जाता है। सर्दी, ख़ासी, ज़ुकाम सहित तमाम बीमारियों में अदरक औषधि के रूप में काम आती है। इसमें प्रोटीन,वसा, कार्बोहाईड्रेट, तथा थायमिन,रिबोफ्लेविन, निकोटीन अम्ल, विटामिन ए और सी भरपूर होता है। साथ ही अदरक को सुखा कर सोंठ बनाया जाता है। तो आइए आज हम जानते हैं अदरक की खेती के बारे में…

जलवायु
अदरक गर्म जलवायु का पौधा है। इसलिए कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा सकती है।

मिट्टी
दोमट, रेतीली भूमि सर्वोत्तम होती है। लेकिन इसमें पानी निकासी के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही अदरक की खेती रेतीली, चिकनी दोमट, लाल दोमट में भी की जा सकती है। इसके लिए आपको खेत की अच्छी तरह जुताई कर समतल कर लेना होगा। इससे मिट्टी भुरभुरा हो जाएगा।

बोआई का समय
अदरक की बोआई के लिए अप्रैल और मई महीना सबसे उपयुक्त होता है। अदरक की खेती के लिए आप एक निश्चित दूरी पर इसके बीज लगा सकते हैं। ताकि फसल का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा हो सके।

किस्में
वैसे तो अदरक की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए मारन, कुरुप्पम्पदी, एरनाद, वायनाड, हिमाचल और नाडिया प्रमुख मानी गई है।

कटाई
अदरक की फसल 8 या 9 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन यदि आप मसाला बनाना चाहते हैं तो 6 साढ़े 6 महीने में इसकी कटाई कर सकते हैं। फसल में जब पत्ते पीले और पूरी तरह सूखने लगे तो समझ जाए कि फसल कटाई के लिए तैयार है. इसके बाद गांठों को उखाड़कर बाहर निकाल दें और 2-3 बार पानी से धोकर साफ करें। इसके बाद इसे 3-4 दिनों तक सुखने के लिए छोड़ दें।